Alahda
हर्फ़ ब हर्फ़ किस्सा लिखा था जो तुमने
मैं आज उसे मिटाने आया हूँ
तसव्वुफ़ के दरीचों में जो बसर किया था तुमने
मैं आज उससे अलहदा करने आया हूँ
ताउम्र साथ चलने का वादा जो किया था तुमने
उसकी रेशमी डोर को आज मैं तोड़ने आया हूँ
मेरी बातें मेरे किस्से मेरी यादें जो चुराईं थीं तुमने
मैं उसका सर्मायी चुकता करने आया हूँ
जो अंदाज़े बयाँ से कायल किया था तुमने
वो अलफ़ाज़ तुम्हें आज लौटाने आया हूँ
तुम्हारा वजूद मेरे लिए मायने नहीं रखता अब
बस इतना ज़हन कराने तेरे शहर आया हूँ
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