पल

यूं चुप चुप तुम मुझको देखते रहे
मैं खामोश तुम्हे बस तकता रहा
सन्नाटे के आगोश में
यूं ही वक़्त बीतता रहा
सवाल कई पर जवाब एक ही
दिल में जो और ज़हन में भी
तिनके जितना छोटा ये पल
लगे इक अरसा बीतता रहा     

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