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धन्य है नानक

जिन समझ जुग बीत गया इक पल में यूँ समझाया भक्ति का इक नया स्वाद जिह्वा पे ऐसा चढ़ाया प्रेम भावना मन में राखी करुणा करना सिखाया धन्य है नानक महापुरुष के तू हम सब में आया पढ़न गया था अक्खर को पाठी को पाठ दिखाया राह चलन की सीख दियो मौलवी को राह दिखाइया जात पात के भेदभाव को अंकुश ऐसा लाया धन्य है नानक महापुरुष के तू हम सब में आया छोड़ घर बार चला फ़क़ीर संग चला दोस्त मरदाना ज्ञान की धुनी रमते निशदिन काबा भी धाम बनाया वाहेगुरु चहुँ ओर बसे ये चमत्कार है दिखाया धन्य है नानक महापुरुष के तू हम सब में आया जा हरिद्वार जो देखियो तो खेतों को पानी चढ़ाया दिव्य ज्ञान के अन्तर्रहस्य को सूरज यूँ है दिखाया शेषनाग को कहे के जा अब अमर हो तेरी माया धन्य है नानक महापुरुष के तू हम सब में आया बैठ जहां वहाँ नित स्थान धरम का पथ बनाया हिन्दू मुस्लिम नर नारी छूत अछूत मिटाया मात पिता जहाँ अपने पूत को गुरु का स्थान निवाया अकाल पुरख के नाम से करतारपुर धाम वसाइया अन्तकाल अंगद जी को गद्दी सौंप गुरु बनाइया करतारपुर धाम वसाइया काल के द्वार खड़े जब नानक लोगन करी लड़ाइयाँ हिन्दू के