यादों की तकलीफ़
एक सूनापन है इस बेज़ार ज़िन्दगी में
एक अधूरापन का सीने में एहसास है
तेरी यादों का साया रहता है मुझपे हरदम
बस कैसे भी तेरे आने की एक अधूरी आस है
तुझसे जुदाई का दर्द तड़पाता है हर पल
तेरी आवाज़ फिर सुनने की एक चाह है
एक रोज़, हर रोज़ तू फिर मिल जाए मुझे
इस दिली ख़्वाहिश ने आज ली परवाज़ है
इस उजड़े चमन को कौन बाग़बान संभालेगा
जहाँ ग़म के काँटो से सजी अब हर एक रात है
कौन आएगा मेरे चश्मे नम को पोंछने आज
किस मरहम से रुकता ज़ख्म से रिसता लहू है
एक अधूरापन का सीने में एहसास है
तेरी यादों का साया रहता है मुझपे हरदम
बस कैसे भी तेरे आने की एक अधूरी आस है
तुझसे जुदाई का दर्द तड़पाता है हर पल
तेरी आवाज़ फिर सुनने की एक चाह है
एक रोज़, हर रोज़ तू फिर मिल जाए मुझे
इस दिली ख़्वाहिश ने आज ली परवाज़ है
इस उजड़े चमन को कौन बाग़बान संभालेगा
जहाँ ग़म के काँटो से सजी अब हर एक रात है
कौन आएगा मेरे चश्मे नम को पोंछने आज
किस मरहम से रुकता ज़ख्म से रिसता लहू है
एक सूनापन है इस बेज़ार ज़िन्दगी में
एक अधूरापन का सीने में एहसास है
तेरी यादों का साया रहता है मुझपे हरदम
बस कैसे भी तेरे आने की एक अधूरी आस है
एक अधूरापन का सीने में एहसास है
तेरी यादों का साया रहता है मुझपे हरदम
बस कैसे भी तेरे आने की एक अधूरी आस है
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