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Showing posts from November, 2020

मिट्टी के दीए

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सरजू निराशा के बादलों से घिरा बैठा था। दीवाली की दोपहर हो गयी थी, और अभी भी सरजू के ठेले से सामान ज्यों का त्यों पड़ा हुआ था।  बड़ी आस से उसने इस साल सोचा था के मैं कुछ काम करूँगा, अपने पैरों पर खड़ा होकर दिखाऊंगा अपने माँ बाबा को। पर अब वो किस मूँह से वापिस घर जाता ये सब सामान लेकर? सुना था, दीवाली सबके घर सुख, रोशनी और समृद्धि लेकर आती है, लेकिन इस वर्ष उसके घर में तो बस अंधकार और दुःख छाने वाला था। मंदी के दौर में घर में रोटी के लिए कुछ पैसे भी नहीं बचे थे। सरजू नाकारा था, अपने आप को इस तरह घर पर बैठा देख के बारी उसे खुद से घृणा होने लगती थी। हठ के चलते पहले विद्यालय में कुछ मेहनत न करी, और फिर एक दिन बस घर बैठ गया यह कहकर के अब मेरा मन न लगता। माँ बाप दो जून की रोटी कमाने में इतने व्यस्त थे के उन्हें उसे समझाने का भी वक़्त न था। बस एक बार डाँट कर, एक बार फुसला कर हार मान लिए। और वैसे भी तो छोटी बहनें थी, जिनको पालने से उतरे अभी दिन ही कितने हुए थे - कमसकम वो घर पर उन्हीं का ध्यान रख लेगा। लेकिन मंदी ने उन्हें भी नाकारा बना दिया। अति तो तब हो गयी जब उस दिन घर में आटा भी ख़त्म हो गया। राश

The Vedantic-Advaitic Moorings of Swadeshi

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A Swadeshi Poster (Courtesy: Republic of Less ) Swadeshi is a thought, an ideal that arose across several countries and not just India. However, the roots in India arose from the 1905 movement whereby the extremist division of the Congress, led by the famous Lal-Bal-Pal trio (Lala Lajpat Rai, Bal Gangadhar Tilak and Bipin Chandra Pal) pushed for an aggressive movement towards home rule, furthered in 1916 by the Home Rule and later in the form of Gandhi’s spiritual form of disobedience. Across the three was a common thread running - creating an economic alternative to demonstrate that India was, just like many other Commonwealth nations or even the crown state of Britain, more than capable of being self-reliant, be it machinery, trade, textile, education or any other aspect. The act was not just political, but was driven by the sentiments related to Bharat Mata that was already whipping up – this was around the same time that the fiery intellectual revolutionary Aurobindo Ghosh through