शान ए डुग्गर

माँ, कौन हूँ मैं? तू आज बता
क्या असल मेरी पहचान है?
बेटी तू शान ए डोगरा है
डुग्गर से ही तेरी पहचान है

तवी की तेज़ धार
बावे की माता तेरी शान है
बाहु के किले का सूरज
जंबु की तेग की धार है

डीडो के क्रोध की ज्वाला, और
ब्रजदेव की वीरता की अंगार है
शिव के माथे का चंदन
रघुनाथ कुल का आशीर्वाद है

नीला रानी का सतीत्व तू है
तू गुलाब सिंह का स्वाभिमान है
मालदेव की तलवार का लोहा है तू
भाभोरी सुरजदेव वफादार है

रणजीत देव की बुद्धिमता
तू भारत की पहरेदार है
इन गलियों में छुपी हरेक कहानी
यह सभी तेरी पहचान हैं

तो क्यों मुझे आज छोड़ा मां?
क्या मुझसे नहीं तुझे प्यार है
तुझमें कोई कमी नहीं बेटी
मेरे दोषों का तुझपे प्रहार है

तेरे लिए हम लड़ न सके, और अब
अब जर्जर तेरी हर दीवार है
हरि सिंह सा तुझको छोड़ दिया
भूल गए सब तेरी पहचान हैं

ब्याह में तुझको यादें दीं
पर जोड़ा तेरा तारतार है
छत झूल रही अंतिम पग पर
तेरी नीलामी का इंतज़ार है

मुझे पता नहीं मैं क्या कहूं
सिर झुकने को आया आज है
डुग्गर धरोहर होना था तुझे
अब होटल का तुझसे निखार है

सोचा, तुझे मिलेगा प्यार, मगर
तुझे बेचा बीच बाजार है
तेरे आंसू की गर्मी की ये जलन
करे सीने में छेद हजार है

कभी हो सके तो क्षमा करना, बच्ची
हम तब सा विवश फिर आज हैं
मेरी देशभक्ति का मूल यही
तेरी शान की गुस्ताखी आज है

तू शान ए डुग्गर रहे हमेशा
यह दुआ मेरे लब पर आज है
बिक गई दीवारें तेरी आज मगर
नहीं बिक सकेगी तेरी शान है

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