फ़सल
बोलो, किसने करी आज पंजाब की ये फ़सल ख़राब? मिलता नहीं आज मुझे कहीं से भी कोई जवाब डाल किसने कालिख़ आज ये मिट्टी करी यूं अज़ाब किसने ज़हर के धुएं से आज धुंधलाया पूरा दोआब? ये कैसी खाद लगा गए है लहलहाते खेतों में के रोती रहीं है अगलों की मौत पे सैंकड़ों माएँ आज ये कैसी सांसें ले रही है आज की गुमशुदा पीढ़ी सरसों ने भी खिलखिलाने से किया आज यहाँ है इनकार? ये दरिया में आज घोला किसने है ऐसा जानलेवा सा अज़ाब के सुबह सवेरे आज लेता हर कोई घूँट अंग्रेजी शराब? पनीर दूध दही मक्खन की रोटियाँ हुईं कहीं ग़ुम बस चाहिए आज तीनों वक़्त वो मीठे ज़हर की एक ख़ुराक बाजरे की इन सिट्टों को आज कर गया है कौन राख़? ये काँटों की सेज कैसे बिन जाने बिछ गयी आज? किसकी बुरी नज़र लग गयी पंजाब को सूख के मिट्टी हो गए उम्मीदें बेहिसाब बोलो, किसने करी आज पंजाब की ये फ़सल ख़राब? मिलता नहीं आज मुझे कहीं से भी कोई जवाब