पद्मावती
तेरे शौर्य की है ऐसी गाथा तेरे सौंदर्य पर वो भारी पड़ी तेरी चिता की राख की गर्माहट ज्वाला से भी बहुत अधिक रही करें कोटि प्रयत्न चंद तुच्छ मनुष्य तेरी छवि को आज मिटाने की पद्मावती, तू बस एक रानी नहीं जीवन पर्यन्त तू अमर हुई। तेरे हुकम रावल रतन की आँख का तारा केवल तू नहीं रही तू दूर आकाश में ध्रुव तारे सी जग में यूँ तू ज्ञात हुई तेरी वीरता से ख़िलजी थर्राया तू वीरांगना श्रेष्ठ कुछ यूँ हुई तू बस एक सुंदर रानी नहीं मेवाड़ का अनमोल इक रतन हुई। वो छल पारंगत क्रूर आक्रांता जिससे बन लोहा तू भिड़ ही गई तेरे प्राप्ति के हर संभव प्रयास को तू आँधी बन छिन्बिन करती रही तू बन चरित्र परिभाषा नई हर पथ को प्रतिष्ठित करती चली तू बन सिंहनी कर चली जौहड़ बनी आत्मसम्मान की नई गिरि मरुथल में खिलते नहीं हैं पुष्प तू बात असत्य कुछ यूँ कर गई इतिहास स्वयं साक्षी था वहाँ स्वयं धर्म बना तेरा अनुयायी तेरी स्मृति महक रही आज भी है तू भारत की ऐसी वीर हुई। पद्मावती, तू बस एक रानी नहीं जीवन पर्यन्त तू अमर हुई।